प्रस्तुतकर्ता
janane_ka_hak
पर
5:58:00 pm
"आतंकवाद"
आतंकवादीयों को मुह तोड़ जवाब ,
अखीर कब दिया जाएगा,
क्या यूँही देखते रहेंगे हम ???
और वक्त निकल जाएगा...........
भगवान ने तो बस इंसान बनाये ,
फ़िर ये आतंकवादी कहाँ से आए???
इस सवाल का जवाब कब
और किस्से लिया जाएगा .......
गुमराह करके नौजवानों को
आतंक का जहर पिलाते हैं जो
उन्हें प्रेम की धारा का अम्रत
आखिर कब पिलाया जाएगा???
जिस्म पर बम लगाकर,
हमे बर्बाद करते है जो,
उन्हें जिन्दगी का सबक,
आखिर कब दिया जाएगा???
ह्थीयारों हथगोलों से ,
खून की होली खेल रहें है जो,
उन्हें इंसानीयत का मतलब,
कब समझाया जाएगा ???
रोकना होगा हमे
इस बढ़ती हुई बीमारी को
वरना ये आतंकवाद का सांप
हम सबको डस जाएगा ..........
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1 टिप्पणियाँ:
these poems are taken from my blog and without my permission. please explain
regards
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