ऑस्कर बनाम भारत

सर्वप्रथम महान संगीतकार ऐ आर रहमान को तहे दिल से हार्दिक शुभकामनाये ।


आज पूरा देश स्लमडॉग मिलेनियर को ऑस्कर अवार्ड मिलने का जश्न रहा है । साडी फिल्मी हस्तिया टी वी पर खुशी मानती नजर आ रही हैं । मुझे कोई आपत्ति नही है आख़िर खुश होने का अधिकार सबको है । लेकिन क्या एक भी फिल्मी हस्ती या कोई और ये कहने का भी साहस जुटा सकता है कि हम आज भी अंग्रेजो से मुकाबले में पीछे हैं ।



बड़े शर्म कि बात है कि जो बात हम भारतीय सोचने कि भी जहमत नही उठाते उन्ही विषयो पर कोई ब्रिटिश फ़िल्म बना देता है और वो फिल्में वर्ल्ड वाइड हिट साबित होती हैं । हम स्लमडॉग मिलेनियर को मिले आठ अवार्ड का तो जश्न मानते हैं लेकिन ये भूल जाते हैं कि आख़िर ये कम किसका है कोंन था जिसने इतना बड़ा साहस किया और इतने लोगो को जोड़ा और परिणाम हमारे सामने है।



ज्यादा समय नही हुआ जब रिचर्ड एटनबरो ने एक महान हस्ती के ऊपर एक फ़िल्म बनाई थी " गाँधी" जिसने भी आठ ऑस्कर अवार्ड जीते थे वो बी एक ब्रिटिश थे।



आखी क्या है जो हमारे फिल्मकार एक दो ढंग कि फ़िल्म नही बना पाते । सोचिये क्यों जवाब बाद में लिखूंगा.....



अंत में एक बात और स्लमडॉग बुरा शब्द नही है बुरी है हमारी सोच । बदल डालिए इसे।












अंत में मुझे अपने एक दोस्त का सवाल याद आ गया वो पूछता है कि विदेशी फिल्मो वालो को हमारी गरीबी ही दिखाई देती है फ़िल्म बनने को।? जवाब चाहता हु इसका आप सबसे... मेरा मानना है फ़िल्म बनने का सही मायना यही है कि उस विषय को चुना जाए जिसे बदलना जरुरी है....



जय हो ....

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