और बहस चल पड़ी.............

आज जब मई पुलिस लाइन से अपने निवास की तरफ़ आ रहा था तो ३ बच्चे मुझे पाइप पर बैठे नजर आए पास जाके सुनाई पड़ा तो पता चला उनकी सारी बात चुनाव और सरकार पर थी। एपी ज्ञान के अधर पर बेचारे बहन जी को जितवा रहे थे मेरे पुचने पर हालाँकि उन्हें ये भी पता नही था कि बहन जी क्या बनेगी।
यह तमाशा आज चहु ओर आम है, हरतरफ झुंड में बैठे लोग सरकार बनने पर बहस करते दिख जायेगे। इस बहस में क्लिर्क से लेकर अधिकारी, मुनीम से लेकर व्यापारी, छात्रो से लेकर अध्यापक सभी शामिल हैं। हर कोई अपनी पसंद कि पार्टी या नेता की सरकार बनवा देता है। असल में उन्हें अंदाजा भी नही होता कि सरकार बनने में उनकी तो भागीदारी ख़त्म हो चुकी है अब तो सिर्फ़ उनके वोट कि सौदेबाजी होनी बाकी है।
sattasukh bhogane की खातिर आज हर पार्टी अपने विचारो कों उठा कर side में रख चुकी है। बहनजी जो आज तक मुस्लिम वोट की खातिर वरुण कों कोसती आ रही थी उनका सुर चुनाव के एक दिन बाद ही बदलता नजर आ रहा है। एक दिन बाद ही advisary कमिटी कों लग गया कि वरुण पर लगा charge galat है। असल में ये और कुछ नही सरकार में NDA कि तरफ़ से शामिल होने bhar कि shuruat है जैसा कि sapa कि तरफ़ से ये bayan आ ही चुका है कि वे UPA कों समर्थन देंगे।
अब बहस का मुद्दा यह नही रह गया है कि अडवाणी या मनमोहन?? अब मुद्दा है UPA, नदा या third फ्रंट जिसका कोई अस्तित्व ही नही है अभी तक।

१- आम आदमी _- कहा जाता है की आम आदमी लोकतंत्र का निर्माता होता है। लेकिन ९० के दशक के बाद सेयह निर्माता तय नही कर पा रहा है की वह किसे चुने। असल में दोष आम आदमी का नही है, दोष है हमारी राजनीतीका जो मुद्दा विहीन हो गई है। ९२ के बाद से ऐसा कोई चुनाव नही है जो विशेष मुद्दों पर लड़ा गया हो। यहाँ बेचारामतदाता उलझन में पड़ जाता है की किसे अपना कीमती वोट दे। इसी कशमकश में अन्तिम दिन ताज वह तय नहीकर पा रहा की उसका वोट किस उम्मीदवार को मिलेगा । उम्मीदवार भी परेशां हैं की पता नही चुनाव वाले दिन ऊंटकिस करवट बैठेगा।
२- राजनीती__ उमा भारती ने आज फ़िर अपने चिर परिचि अंदाज में बयां देकर बाबरी मस्जिद मुद्दे को हवा दे दी है। उनका कहना है की १६ वीं सदी की इस स्मारक को किसने तोडा कोई नही जानता। यह बात उन्होंने अतरौली में कही. अतरौली कल्याण सिंह जन्मस्थली है . इससे पहले कल्याण सिंह भी इस तरह का बयां दे चुके हैं की बाबरी मस्जिद पर उन्हें अंधेरे में रखा गया था। विदित है कि कल्याण सिंह एटा लोकसभा से निर्दलीय उम्मीदवार हैं और समाजवादी पार्टी से समर्थित हैं।
आज राहुल गाँधी का बयान सुर्खियों में है कि सरकार से गए १० रुपये में से केवल १० पैसे लाभार्थी तक पहुंचते हैं। गौरतलब है कि कुछ इसी तरह का बयान राजीव गाँधी ने भी दिया था। राहुल जयपुर में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे।
३- विश्व -- नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड ने यह कहकर इस्तीफा दे दिया कि वह देश में लोकतंत्र और शान्ति चाहते हैं। यह घटनाक्रम राष्ट्रति रामबरन यादव के आर्मी चीफ जनरल कटवाल के अपने पड़ पर बने रहने के निर्देश के बाद हुआ। नेपाल में इस समय हालात नाजुक हैं। इस समय झलनाथ खनाल और माधव कुमार संभावित कि सूची में हैं।
४- अर्थव्यवस्था- आज सेंसेक्स १२००० का आंकडा पर कर गया। सेंसेक्स ७३१.५ अंको कि बढोतरी दर्ज की। इस बढोतरी से शेयर धारको के चहरे खिले हुए हैं। वही विशेषज्ञ इसे मंदी का अंत बता रहे हैं। यह बढोतरी पूरे विश्व में दिखाई दी।
५- कानून- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है किदुश्कर्म के मामले में किसी महिला को दोषी नही ठहराया जा सकता है। न्यायादिश अरिजीत पसायत और अशोक गांगुली की बेंच ने यह फैसला राजश्थान सरकार की याचिका पर दिया। बेंच ने कहा की कानून में महिला के लिए दुष्कर्म के लिए सजा का प्रावधान नही है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जारी एक नोटिस में chhattisgarh सरकार से सिविल right activist binayak सेन को chikitsa suvidha upalabdh कराने को कहा है। सेन इस समय hraday रोगी हैं joki २००७ से raipur jail में हैं। उन्हें naxalites की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
६- खेल - पाकिस्तान की घटना के बाद से भारत के खेलो पर संकट के बदल छंट नही रहे हैं । अब ऑस्ट्रलियन कॉमनवेल्थ associasion ने भारत में सुरक्षा पर चिंता जताई है। हालाँकि अभी उसने भागीदारी पर कोई बयान नही दिया है।
इधर IPL २ में चेन्नई ने डेक्कन चार्जेस को ७८ रनों से हरा दिया। चेन्नई ने २० ओवर में १७८ रन बनाये थे जिसके जवा में डेक्कन चार्जेस केवल १०० रन ही बना सकी। इस जित से चेन्नई अब पांचवे paydan पर पहुँच गई है।
९ मई से शुरू होने जा रहे होकी के एशिया कप की जीत के लिए भारतीय टीम आशान्वित है यह कहना है पूर्व कप्तान dhanraj pillai का।
७ - आगरा - विवि की बीबीए और बीसीए परीक्षा १२ मई से शुरू होने जा रही हैं। अभी तक व्यक्तिगत परीक्षा के बारे में कोई अधिकारी खुल कर बोल नही रहा है। साथ ही कल विवि के नए ragistrar ओ en सिंह ने पदभार samhal लिया। वह १९८३ batch के PPS अधिकारी हैं।
आगरा में ७ मई को संपन्न होने जा रहे चुनाव की prakriya tej हो रही है। सभी उम्मीदवार अन्तिम दिनों में जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। आज शाम से चुनाव प्रचार बंद हो जाएगा। प्रत्याशी भी अब केवल वही ध्यान दे रहे हैं jaha से उन्हें वोट milane की ummid है। सबसे jyada परेशां प्रत्याषी युवा मतदाता से है जो form ४९ का upayog नकारात्मक vote डालने में कराने जा रहा है।

आज के अध्यापक .....

आजकल मैं एक विशेष अनुभव का लाभ अर्जित कर रहा हूँ जिसका पुण्य लाभ मेरे आदरणीय शिक्षक जनो को जाता है। जैसा की विदित है की मैं इस वर्ष अपना परास्नातक पूर्ण कराने वाला था। लेकिन मेरे आदरणीय शिक्षक जनोंके विशेष अनुग्रह और विश्वविद्यालय की कार्यशैली के चलते मुझे अपना इरादा अगले वर्ष के लिए स्थगित करना पड़ा । लो मैंने ये तो बताया ही नही की मेरा इरादा क्या था। अरे ऐसा कुछ नया नही था बस सोचा था कुछ एक लाखो की भीड़ में हम भी आ जायेंगे पर हमारे आदरणीय शिक्षक जनों को ये मंजूर नही था। उन्होंने हमारे भले के लिए सोचा और हमारे शोध के प्रयासों पर विराम लगा दिया। शायद उन्हें लगा कि शोध तो फालतू कि प्रक्रिया है जिसका अंत बेकारी से ही होना है तो क्यों शोध किया जाए, हम ये अनुग्रह तो तुम पर वैसे ही रिजल्ट नही निकालकर कर रहे हैं।
अब कल का ही विषय देखिये कि हमारे शोध करने के विषय पर उन्होंने कितने ज्ञान की बात उन्होंने हमें बताई। उनके अनुसार हमारे जनसंचार विषय पर शोध की कीमत ५ लाख है जिसमे से १ लाख गाइड को दिया जाता है। अब देखिये न हमें तो बैठे बिठाये उन्होंने शोध का एक विषय दे दिया अब मैं आजकल पता करने में लगा हू की कोण से संसथान में इस कीमत पर शोध की बोली लग रही है।
बेचारे एक विषय पर बहुत परेशां थे की शोध कराने के लिए हमें मिलाता क्या है फालतू में सर खपाना पड़ता है अब मैं सरकार से सिफारिश करने की सोच रहा हूँ कि इन शोध कराने वाले सभी आदरणीय शिक्षक जनों को कुछ धनराशी प्रदान करवाने कि व्यवस्था कराएँ क्यूकि ये पढ़ने के लि तो होते ही नही हैं वह सो उनके मिलाने वाले वेतन को ख़त्म किया जा सकता है हालाँकि इस सुझाव पर मेरे शुभचिंतक आदरणीय शिक्षक जन नाराज हो गए। मेरे एक मित्र का कहना है बेटा इस सुझाव का फल तुझे आने वाले रिजल्ट में पता चलेगा । मुझे भी पता चला है आजकल आदरणीय शिक्षक जन मेरा विशेष ख्याल रख रहे हैं।
गर आपके पास मेरे लिए कुछ सुझाव हो तो बताइयेगा

भगवान

एक बेचारा भगवान,
कितना बोझ संभालेगा।
ये भी दे दे वो भी दे दे,
इन्सान कभी न हारेगा।
तरस आता है उपरवाले पर,
क्यों बनाया तुने इसको।
तीन ही चीजे लाता नीचे,
पेड़ पोधे और जानवर।
एक बेचारा उपरवाला,
कितनी बार उठाएगा।
उठाकर ये इन्सान अकेला,
फ़िर से ठोकर खायेगा।
हाथ उठाले यदि वो सर से,
तो क्या इन्सान रह जाएगा।
अँधेरी अपनी इस दुनिया में ,
कैसे दिया जलाएगा ।
एक बेचारा भगवान हमारा,
तब भी साथ निभाएगा ...

( a student of master of journlism)

साभार http://ajaykumarjha1973.blogspot.com

शुरू शुरू में जब यहाँ इस अंतरजाल से नाता जुडा था तो सब कुछ नया था, ऐसे में जाहिर था कि मैंने भी वही सुरक्षित रास्ता अपना रखा था। यानि चुपचाप आओ , अपना काम करो और निकल लो। उन दिनों से ,( ये सिलसिला अभी भी जारी है), जब भी अपना ई मेल अकाउंट खोलता तो दो नियमित मेले जरूर हुआ करती थी। एक वो सूचना जिसमें कि अपनी पोस्ट छपने की जानकारी दी होती थी दूसरी वो जिसमें लिखा होता था, अमुक तारीख को अंतरजाल से जुड़ने वाले इतने नए चिट्ठों का टिप्प्न्नी द्वारा स्वागत कीजिये। मैं भी ठीक वैसे ही करता था जैसे हम में से बहुत से लोग करते हैं या अब भी कर रहे होंगे। बिना पढ़े ही डीलीट कर दिया।

किंतु पिछले दिनों न जाने अचानक मुझे क्या हुआ कि मैं उन चिट्ठों को खोल खोल कर पढने लगा। सच कहूँ तो अपने आप को ही धन्यवाद कहता रहता हूँ कि अचानक वो ख्याल मेरे मन में आ गया। तब से तो मानिये जैसे ये एक आदत सी बन गयी और मैं पहला काम यही करता हूँ। यकीन मानें दिल को इतना सुकून मिलता है जब मैं किसी को पहली टिप्प्न्नी करता हूँ, या उसे फोलो करने वाला पहला व्यक्ति बँटा हूँ। न जाने कितने सारे दोस्त बना लिए हैं अब तक। कई सारी छोटी छोटी बातें जब देखने पढने को मिलती हैं तो अपने पुराने दिन भी याद आ जाते हैं, मसलन कई ब्लोग्गेर्स अनजाने में ख़ुद के ब्लोग्स को ही फोलो करने लगते हैं। किसी को ये नहीं पता होता कि अब जब उसे कोई टिप्प्न्नी कर रहा है तो वह उसे कैसे धन्यवाद कर सकता, आदि आदि। कहने का मतलब ये कि अब हमारा परिवार, हिन्दी ब्लॉग जगत का परिवार इतना बड़ा तो हो ही चुका है कि हम में से कुछ ब्लोग्गेर्स नियमित रूप से नए ब्लोग्गेर्स का स्वागत करें और उन्हें प्रोत्साहित करें। मुझे खूब पता है जब कोई नयी नयी पोस्ट लिखता है और काफी दिन बीतने के बाद भी कोई प्रतिक्रया नहीं आती तो उसे कैसा महसूस होता है।

इसलिए भाई मैंने तो ये सोच लिया है कि, बड़े भाई उड़नतश्तरी जी के पदचिन्हों पर चलते हुए नए ब्लॉगर को भरपूर समर्थन और प्रोत्साहन दूंगा, वैसे असली कारीगरी तो तब शुरू होगी, जब भगवान् की कृपा से जल्दी ही अपना कंप्युटर ले लूंगा। मेरी तो आप सबसे गुजारिश है कि नए मित्रों का स्वागत करें। यकीन मानें आपको जितनी खुशी मिलेगी उसका एहसास उन नए मित्रों को भी हो सकेगा। आशा है मेरी प्रार्थना आपको स्वीकार्य होगी.

राजनीती


राजनीती

साभार www.cartoonpanna.blogspot.com

;;