प्रस्तुतकर्ता
janane_ka_hak
पर
5:33:00 pm
"तेरी चाहत"

"तेरी चाहत"
तेरी हर अदा पे मुझे बस प्यार आता है,
जब मेरे साथ तू होती है करार आता है..
तेरी आँखें है सनम, या के हैं जाम-ऐ-शराब,
तेरी नज़रों को मैं देखूं तो खुमार आता है..
तेरी नज़रों को मैं देखूं तो खुमार आता है..
तू मेरे सामने है, ख्वाब हो , बेदारी हो,
अपनी बांहों में लिए तुझ को चला जाता हूँ..
अपनी बांहों में लिए तुझ को चला जाता हूँ..
तुझसे मिलने पे जो आजाए जुदाई का ख़याल,
दिल में तूफ़ान सा उठता ही चला जाता है..
दिल में तूफ़ान सा उठता ही चला जाता है..
तेरी चाहत की मेरे दिल में है हद कितनी,
कहाँ ग़ज़लों में या अल्फाज़ में कह पाता हूँ ..
कहाँ ग़ज़लों में या अल्फाज़ में कह पाता हूँ ..
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1 टिप्पणियाँ:
these poems are taken from my blog and without my permission. please explain
regards
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